खानदानों की जंग का नतीजा है सिंधिया का निष्कासन, नकुल-जयवर्धन का रास्ता साफ
 


खानदानों की जंग का नतीजा है सिंधिया का निष्कासन, नकुल-जयवर्धन का रास्ता साफ



कांग्रेस में वंशवाद की राजनीति का सिलसिला बेहद पुराना है. हर बड़े नेता के बाद उसका बेटा राजनीति संभालता है. गांधी परिवार इस परंपरा का सबसे बड़ा वाहक है. तो क्या ये माना जाए कि दिग्विजय के बेटे जयवर्द्धन और कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के लिए रास्ता बनाने के लिए दोनों ने मिलकर सिंधिया की बलि चढ़ा दी? नाथ और सिंह खानदानों ने मिलकर सिंधिया के वंश को कांग्रेस से धक्का दे दिया और पार्टी में सर्वशक्तिमान गांधी परिवार देखता रह गया.  


नई दिल्ली: मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बहुत ऊंचा है. उनके रहते किसी और युवा नेता के लिए प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में स्थान नहीं बन सकता था.


लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे और छिंदवाड़ा के सांसद नकुल नाथ के सामने पूरा राजनीतिक करियर है.


उसी तरह कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बेटे और मध्य प्रदेश में मंत्री जयवर्धन सिंह को भी कांग्रेस की राजनीति में स्थान बनाना है.


इसके लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को बाहर का रास्ता दिखाना कितना जरुरी था और इसके लिए क्या तरकीबें आजमाई गईं, ये समझते हैं-